कारपोरेट टैक्स छूट: केन्द्र ने बनाई 1.45 लाख करोड़ की भरपाई के लिए योजना

 


कृष्ण कुमार उपाध्याय - एडवोकेट 


घरेलू कंपनियों और नई विनिर्माण इकाइयों को कॉरपोरेट टैक्स में 10 फीसदी कटौती से सरकारी खजाने पर सालाना करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सरकार इस घाटे की भरपाई विनिवेश के जरिए करने की योजना बना रही है। इसके तहत जल्द ही कई सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी 51% से कम करने का ऐलान संभव है। 


सूत्रों ने हिन्दुस्तान को बताया कि इनमें कई सरकारी महारत्न कंपनियां भी शामिल हैं। इन कंपनियों में सरकारी हिस्सा बेचने को लेकर विनिवेश विभाग ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस पर संबंधित मंत्रालयों से विचार-विमर्श बाकी है। माना जा रहा है कि रायशुमारी पूरी होते ही इसे कैबिनेट में भेज दिया जाएगा। मंजूरी मिलते ही सरकार चरणबद्ध तरीके से सरकारी कंपनियों में हिस्सा कम करने का काम शुरू कर देगी।


जानकारी के मुताबिक, विनिवेश के दायरे में एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जैसी कंपनियां सबसे ऊपर है। सरकार का लक्ष्य है कि इसी वित्तीय वर्ष में कंपनी में हिस्सेदारी बेचने की तैयारी पूरी कर ली जाए।


बड़ी कंपनियां शामिल: इसके अलावा सरकार ने 12 ऐसी कंपनियों की भी पहचान कर ली है जिनमें हिस्सा 51 फीसदी से कम किया जाएगा। इस सूची में एनटीपीसी, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, नाल्को, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं।


सरकार की पहल: अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घरेलू कंपनियों और नई विनिर्माण इकाइयों के लिए कारपोरेट टैक्स करीब 10 फीसदी तक कम करने का ऐलान किया था। इसके अलावा पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा करने वालों पर टैक्स नहीं देना होगा। मालूम हो कि आर्थिक संकट से जूझ रही एयर इंडिया के विनिवेश के लिए हाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में मंत्रियों के समूह की बैठक हुई थी। एयर इंडिया पर करीब 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। 


28 साल में सबसे बड़ी कटौती की गई है कॉरपोरेट टैक्स में


निचली सीमा तय नहीं
विनिवेश के इस प्रस्ताव में सरकारी हिस्सेदारी की कोई निचली सीमा तय नहीं की गई है। कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी की निचली सीमा तय करने का अधिकार मंत्रियों के समूह को होगा। इतना ही नहीं मंत्रियों का समूह ही तय करेगा कि कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी को एक साथ बेचा जाएगा या फिर अलग-अलग किस्तों में बेचा जाना है। 


जीएसटी में कमी मुश्किल
जीएसटी दरों में कटौती की उम्मीद लगाए बैठे कारोबारियों को झटका लगा है। जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को हुई बैठक में 200 उत्पादों की दरें घटाने पर चर्चा हुई लेकिन प्रस्ताव खारिज हो गया। एक अधिकारी ने हिन्दुस्तान को बताया कि जीएसटी काउंसिल अभी दरों में बड़ी कटौती पर विचार नहीं करेगी। फिटमेंट पैनल ने कटौती से नुकसान होने की आशंका जताई है। 


सरकार ने अगस्त और सितंबर महीने में अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने के लिहाज से कई बूस्टर डोज दिए हैं। ऐसे में अब किसी बड़ी टैक्स कटौती के आसार नहीं दिख रहे हैं। सरकार इन कदमों के असर के आंकलन के बाद ही किसी नई कर कटौती पर विचार करेगी।


-देवेंद्र कुमार मिश्रा, कर और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ


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