ये महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
तारकेश्वर टाईम्स (हि0दै0)
बस्ती ( उ0प्र0 ) । समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सुदामा ने बस्ती महोत्सव के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं । प्रस्तुत है उनकी रचना : -
जिस महोत्सव से जनता का नाता नहीं
वो महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
बस्ती महोत्सव कहें या भाजपा उत्सव कहें
लूट उत्सव कहें या शहर उत्सव कहें
सच्ची बातें किसी को सुहाता नहीं
ये महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
जिस महोत्सव से किसानों का नाता नहीं
वो महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
जंगली सुअर आलू को चौपट करें
गेंहू सरसो मटर अरहर सांड भैंसे चरें
नीद कृषकों को रात में भी आता नहीं
ये महोत्सव तनिक भी सुहाता नहीं
क्षेत्रीय प्रतिभा का सरोकार जिसमें नहीं
वो महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
गांव गलियों की प्रतिभा है वंचित जहां
रानू मंडल को खोजेंगें कैसे वहां
बाल प्रतिभायें गांवों में सिमटी यहां
पावन मनवर की धरती की चर्चा नहीं
ये महोत्सव तनिक हमें भाता नहीं
जिस महोत्सव से गुरूजन का नता नहीं
वो महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
बसंत गीत यदि टनाटन जी का होता नहीं
गुरू मंजुल का सम्मान होता नहीं
ब्लाक स्तर पे प्रतिभा न खोजी गई
नब्ज जनता की भी न टटोली गई
मीडिया भी यहां पांचाली बनी
ये महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
करूं सबसे निवेदन में कर जोडकर
इस महोत्सव को देखें न मुंह मोडकर
अहंकार में संस्कार भूले सभी
सत्ता मद में यहां पर हैं झूले सभी
बजट जनता का युं खाने देंगें नहीं
ये महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
मनवर सूखी जहां कुवानों काली जहां
गन्ना भुगतान कृषकों का लटका यहां
जिला सहकारी बैंक पैसा देता नहीं
ऐसे में इस महोत्सव का मतलब नहीं
टोल भरकर भी अण्डरपास बनता नहीं
ये महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
मान्यताओं की फाइल है लटकी यहां
न्याय हित जनता दर दर भटकती यहां
गढ्ढामुक्ती मच्छरमुक्ती भी कर पाते नहीं
विकास पैदा हुआ कब बताते नहीं
अटल प्रेक्षागृह घोटाले का जांच होता नहीं
ये महोत्सव हमें तनिक भाता नहीं
मान सम्मान अपना जगाओ सभी
बस्ती हित में कदम अब बढाओ सभी
बस्ती क्या है एहसास कराओ सभी
मंच पर बस्ती ही बस्ती होगा तभी
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