बरसात से ईंट भट्ठा व्यापार चौपट

बस्ती  (उ.प्र.) । बेमौसम बारिश ने ईंट भट्ठा मालिकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। जनवरी में चार बार हुई बारिश से ईंट उद्योग को जहां करोड़ो रूपये का नुकसान हुआ वहीं फरवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में हुए बारिस के कारण भट्ठा मालिकों को जबरदस्त क्षति पहुंचा है। क्योंकि धूप में सूखने के लिए रखे गए कच्चे ईंट बारिस के पानी से गलकर खराब हो गए।
भानपुर क्षेत्र के कई भट्ठा मालिकों ने बताया कि इस बरसात से अधिकतर ईंट भट्ठा मालिकों को कर्ज में डुबो दिया है। बताया जाता है कि प्रत्येक ईंट निर्माता को बारिश के चलते दस लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है। कुछ स्थानों पर तो बारिश ने छोटे स्तर पर ईंट भट्ठे लगाने वालों को कहीं का नहीं छोड़ा है। लाखों ईंटें बारिश की भेंट चढ़ चुकी हैं। वर्षा के कारण ईंट भट्ठों में तैयार कच्ची ईंट पर भी मिट्टी बनने का खतरा बना हुआ है ।

जानकारी के मुताबिक जनपद में 217 ईंट भट्ठों में लाखों की संख्या में कच्ची ईटों को खुले में सूखने के लिए रखा गया था। सूखने के बाद उसे चेंबर में डालकर पकाया जाता है, लेकिन अचानक आई वर्षा ने किए कराये पर पानी फेर दिया।

भट्ठा मालिक सुबोध सिंह ने बताया कि नुकसान की भरपाई होना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि मजदूरी के मद में जो राशि व्यय हुई है उसको झेलना ही है उसके बाद मौसम साफ होने पर बर्बाद हुए कच्चे ईंट को हटाना और दूबारा पथाई करवाने के लिए नए सिरे से ईंट का निर्माण एवं मजदूरी भुगतान के लिए राशि की व्यवस्था करना जटिल होता है।

भट्ठा मालिक विरेन्द्र वर्मा ने बताया कि मौसम की मार झेल रहे ईंट भट्ठा मालिकों को ईंट के व्यवसाय में लगातार घाटा झेलना पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि सरकार से ईंट भट्ठा उद्योग को किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल रही है। ईंट भट्ठा व्यवसायी विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाए जाने से भी परेशान हैं। जीएसटी, जिला पंचायत कर, प्रदूषण बोर्ड कर, रॉयल्टी और इनकम टैक्स के रूप में आधा दर्जन जगहों पर टैक्स देना पड़ रहा हैं। उसके बाद प्राकृतिक आपदा की मार भी झेलनी पड़ती है।

क्षेत्र के करीब आधा दर्जन और ईंट भट्ठा स्वामी से बात हुई जिमसें लोगों ने बताया कि ईंट भट्ठा व्यवसायियों के हित में सरकार को सोचना चाहिए। टैक्स का सही निर्धारण कर उनके नुकसान को कम किया जाना चाहिए। बारिश के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए रॉयल्टी एवं टैक्स में छूट दिए जाने की जरूरत है ,अगर ऐसा नही किया जाता है तो भट्ठा मालिकों को ईंट के दाम में वृद्धि करना पड़ेगा जिसका पूरा असर सीधा आम आदमी पर पड़ेगा।


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