लाॅक डाउन : ईएमआई होल्ड करना समझदारी नहीं
तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)
नई दिल्ली । कमाई और नौकरी की अनिश्चितता के चलते बैंकों से लोन लेने वाले तमाम कर्जधारकों की चिंता को दूर करने की कोशिश भारतीय रिजर्व बैंक ने की है। आरबीआई ने बैंकों, ग्रामीण बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और नॉन-बैंकिंग कंपनियों को तीन महीनों की ईएमआई को स्थगित करने की सलाह दी है। इस पर कई बैंकों की ओर से अमल भी शुरू हो गया है।
हालांकि पर्सनल फाइनेंस के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि किसी ग्राहक के पास किस्तें भरने की क्षमता है तो फिर उसे ईएमआई होल्ड नहीं करनी चाहिए । आइए जानते हैं, क्या है एक्सपर्ट्स की राय - दरअसल बैंकों की ओर से भले ही आपकी ईएमआई को तीन महीनों के लिए होल्ड कर दिया जाए, लेकिन ब्याज नहीं रुकेगा और जस का तस जारी रहेगा। मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपये का होम लोन 8.5 फीसदी की ब्याज पर 10 सालों के लिया है तो उसकी मासिक किस्त 62,000 रुपये के करीब होती है। अब यदि आप अप्रैल में पहली किस्त नहीं देते हैं तो फिर इस पर लगने वाला 8.5 फीसदी ब्याज भविष्य के लिए कुल अमाउंट में जुड़ जाएगा, जो 35,000 रुपये होगा। इस तरह से तीन महीने में ब्याज जुड़ते हुए 1 लाख 7 हजार रुपये हो जाएगा और लोन की कुल राशि 51 लाख रुपये होगी। इसका अर्थ यह होगा कि आपको एक लाख रुपये से ज्यादा की रकम ब्याज के तौर पर चुकानी होगी। यदि आपके पास लोन की इन किस्तों को भरने के लिए जरूरी फंड नहीं है तो न भरें, लेकिन बैलेंस होने पर ऐसा करना नुकसानदेह साबित होगा।
पर्सनल लोन वालों के लिए भी फायदे का सौदा नहीं
यदि आपने पर्सनल लोन लिया है, तब भी यही नियम आपके ऊपर लागू होगा। इसके अलावा पर्सनल लोन के मामले में यह और भी ज्यादा नुकसानदेह है क्योंकि होम और ऑटो लोन के मुकाबले पर्सनल लोन खासे महंगे होते हैं। ऐसे में आपको ब्याज के तौर पर बड़ी रकम अदा करनी होगी, जो किसी भी लिहाज से आपके लिए फायदेमंद नहीं है। इससे आपके लोन की अवधि तो बढ़ेगी ही कर्ज की राशि में भी इजाफा होगा। एक तरफ आप तात्कालिक राहत महसूस करेंगे, लेकिन दूसरी तरफ लॉन्ग टर्म में इसकी बड़ी कीमत चुकाएंगे।
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