किसानों से गेहूं नहीं खरीदना चाहती सरकार

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)
पानीपत । गेहूं खरीद पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता लगातार हरियाणा सरकार को घेर रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि किसानों की 80 प्रतिशत गेहूं कट चुकी है लेकिन सरकार उसकी खरीद नहीं कर रही है। मंडी और खरीद केंद्रों पर 29 अप्रैल को खरीद बंद करने का आदेश दिया जा रहा है। एक तरफ तो किसान मौसम की मार, वेब पोर्टल न चलने की मार, बारदाने की मार और गीली गेहूं को सुखाने की मार झेल रहा है। वहीं हरियाणा सरकार गेहूं खरीद में आना-कानी कर रही है।   
सुरजेवाला ने कहा कि 27 अप्रैल 2020 तक हरियाणा में महज 21 लाख 60 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदी गई है, जबकि पिछले वर्ष 91 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी जा चुकी थी। पिछले साल के मुकाबले महज 23 प्रतिशत गेहूं ही खरीदी गई है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार किसानों की गेहूं खरीदना नहीं चाहती। मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला की नीति व नियत दोनों में खोट है।
मोदी-खट्टर सरकारों ने एक बार फिर किसान-आढ़ती-मजदूर के गठजोड़ को षडयंत्रकारी तौर से तोड़ने का काम किया है। उनका निशाना केवल किसान को गेहूं खरीद पर ₹1925 प्रति क्विंटल का दाम न देना है। हरियाणा के गठन के बाद 52 वर्षों में पहली बार गेहूं खरीद में किसान-आढ़ती की इतनी दुर्दशा हुई है। हरियाणा का किसान-आढ़ती व मजदूर इस बदहाली के लिए भाजपा-जजपा सरकार को कभी माफ नहीं करेगा तथा इसकी सजा इस बेमेल, निर्दयी व जनविरोधी गठबंधन को अवश्य मिलेगी।
पिछले दिनों सुरजेवाला ने लगातार मंडियों का दौरा किया था। इसके बाद सरकार ने पुलिस को सख्त आदेश दिए थे कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वाले नेताओं पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस पर सुरजेवाला ने कहा कि यहां मार्शल लॉ नहीं है। ये हिंदुस्तान है, पाकिस्तान नहीं है। किसान की समस्याओं को उजागर करने के लिए मंडी में जाने का अधिकार है। वे न तो खुद जाएंगे और न ही दूसरों को जाने देंगे।
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