राज्यपाल पर टिकीं उद्धव ठाकरे की उम्मीदें, लगाया जोर
तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)
मुंबई । महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे की उम्मीदें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर जा टिकी हैं और यही वजह है कि राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाने के लिए कैबिनेट लगातार गुहार लगा रहा है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर दबाव बनाते हुए उद्धव कैबिनेट ने सोमवार को एक बार फिर उनसे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) मनोनीत करने को कहा।
कोरोना वायरस महामारी के कारण सभी चुनाव टाले जाने की वजह से उद्धव ठाकरे चुनाव लड़कर विधायक नहीं बन पाए हैं। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद संभाला था और उन्हें पद पर बने रहने के लिए अब एक महीने के भीतर ही विधानमंडल का सदस्य बनना होगा, क्योंकि उसके बाद 6 महीने की समय सीमा समाप्त हो जाएगी। अब तक वह राज्य विधानसभा अथवा परिषद के सदस्य नहीं हैं। सोमवार को उप मुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया गया कि कोश्यारी से परिषद में राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाने वाले दो सदस्यों में से एक सदस्य के तौर पर ठाकरे को मनोनीत किए जाने की सिफारिश की जाए। इससे पहले भी इस महीने की शुरुआत में नौ अप्रैल को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राज्यपाल से ऐसा ही निवेदन किया गया था।
उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने को लेकर अब तक कोश्यारी ने मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में शिवसेना सांसद संजय राउत ने देरी को लेकर पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे लेख में रविवार को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर निशाना साधा था।
ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और अभी वह विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। संविधान के तहत उन्हें 28 मई 2020 तक किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है। कोरोना वायरस महामारी के कारण हालांकि सभी चुनाव स्थगित हैं ऐसे में राज्य मंत्रिमंडल ने 9 अप्रैल को उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामित किए जाने की सिफारिश की थी। बीते नौ अप्रैल को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया था कि उद्धव ठाकरे को विधान परिषद मनोनीत किया जाए। लेकिन राज्यपाल ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। इस बीच मामला बांबे हाईकोर्ट में भी गया जहां दलील दी गई थी कि मंत्रिमंडल की बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होती है। जबकि नौ अप्रैल की बैठक उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में हुई थी।
उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के आठवें ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो बिना किसी सदन के सदस्य हुए मुख्यमंत्री बने हैं। इनसे पहले कांग्रेस नेता ए आर अंतुल्य, वसंतदादा पाटिल, शिवाजी राव निलंगेकर पाटिल, शंकर राव चाव्हान, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चौहान और एनसीपी चीफ शरद पवार भी बिना सदन के सदस्य हुए सीएम बन चुके हैं।
नियम के मुताबिक, विधायक दल का नेता किसी भी व्यक्ति को चुना जा सकता है भले ही वह विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य हो अथवा नहीं। लेकिन छह महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद (जिन राज्यों में है) का सदस्य होना अनिवार्य होता है। उद्धव ठाकरे के लिए समयसीमा अगले महीने खत्म हो रही है। उन्होंने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
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