बधिरों की चुनौतियां और प्रासंगिकता पर इनरव्हील क्लब का वेबिनार सम्पन्न


(वन्दना शुक्ला) 


बस्ती (उ.प्र.) । इनरव्हील क्लब एवं रोटरी क्लब बस्ती मिडटाउन के संयुक्त तत्वाधान में बधिर सप्ताह के तहत एक वेबीनार का आयोजन किया गया। इसका शीर्षक था "बधिरों की चुनौतियां एवं उनके मानवाधिकार व वर्तमान परिदृश्य में इनकी प्रासंगिकता"।  



कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सेवानिवृत्त डिप्टी कमिश्नर, दिव्यांग प्रभाग, लखनऊ से श्री अखिलेंद्र कुमार सिंह सम्मिलित हुए। उन्होंने बधिरों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए समाज के सभी वर्गों का आह्वाहन किया कि वह बधिरों का सहयोग करें ताकि वह ससम्मान अपने जीवन के दायित्वों का निर्वहन कर सकें एवं आगे बढ़ सकें।


मुख्य वक्ताओं में श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल जी, उपाध्यक्ष, नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड एवं निदेशक, शिक्षित युवा सेवा समिति, बस्ती जिन्हें दिव्यांग जनों का पुरोधा माना जाता है, ने भी बधिरों के प्रति सामाजिक संवेदनशीलता का मामला उठाते हुए कहा यदि समाज से उत्साही व्यक्ति दिव्यांग जनों के लिए हाथ आगे बढ़ाएं और उन्हें उठने में मदद करें तब यही बधिर सप्ताह या बधिर दिवस पर कार्यक्रम करने की सार्थकता होगी। वरिष्ठ नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष शंकर रे, गोरखपुर इस वेबिनार में सम्मिलित हुए व उन्होंने बताया कि नवजात शिशु के पैदा होने के कुछ समय के अंतराल में ही उसकी श्रवण क्षमता का टेस्ट कराया जाता है। यदि आरंभ में ही बच्चे के अल्प या पूर्ण बधिर होने का पता चल जाता है तो समय रहते उसका बेहतर इलाज संभव है। 10 वर्ष की उम्र तक कोकलियर के ऑपरेशन के रिजल्ट्स बहुत अच्छे होते हैं जैसे जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जाती हैं वैसे ऑपरेशन के परिणाम इतने अच्छे नहीं रहते। अभय प्रताप सिंह सचिव, नेशनल एसोसिएशनक ऑफ स्पेशल एजुकेटर्स रिहैब प्रोफेशनल्स एंड फिलैंथरोपस ने कहा की विशेष शिक्षकों की राहों में चुनौतियां तो बहुत हैं परंतु सबसे बड़ी चुनौती समाज की नकारात्मक सोच की है। इसेमें सबसे प्रमुख है इन वंचितों को किसी भी स्तर पर चाहे वह उनके अपने ही घर, उनके पड़ोसी हों या आस-पास का समाज हो यहां तक कि कभी-कभी उनके माता-पिता भी उनको स्वीकार नहीं कर पाते हैं। आज समय की यह मांग है की दिव्यांगता के प्रति इस नकारात्मक सोच को बदला जाए और इसके लिए सतत प्रयास किए जाएं। सुनील त्रिपाठी , डी सी समेकित शिक्षा बस्ती ने दिव्यांग जनों की सुरक्षा, शिक्षा उनके मूल अधिकार व उनको मिलने वाली वांछित सुविधाओं आदि के संदर्भ में चल रही सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला।  



रोटरी क्लब के अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा यदि निशक्त और दिव्यांग बच्चों को सशक्त बनाना है और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना है तो यह कार्य बिना विशेष शिक्षकों के संभव नहीं है। उन्होंने इसके लिए विशेष शिक्षकों को सुरक्षा की भावना एहसास कराने एवं यथोचित सम्मान देने की आवश्यकता पर बल दिया।


इनरव्हील क्लब की अध्यक्षा डॉ निधि गुप्ता ने कहा अक्सर दिव्यांगता से पहले की सीढ़ी अक्षमता होती है यहां पर यदि शीघ्र हस्तक्षेप किया जाए तो बच्चा दिव्यांग होने के स्थान पर काफी हद तक सामान्य रूप से कार्य करने योग्य हो जाता है फिर भी यदि किन्ही कारणों से बच्चा दिव्यांग हो ही जाता है तो जहां से मेडिकल साइंस का काम खत्म होता है वहीं से शुरू होता है उनके पुनर्वास का कार्य जिसमें विशेष शिक्षक महती भूमिका निभाते हैं। यह शिक्षक विभिन्न प्रकार की तकनीकों के जरिए दिव्यांग जनों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए पुरजोर प्रयास करते हैं। इनकी वास्तविक खुशी तभी होती है जब यह इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनते हुए देखते हैं। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि इन विशेष शिक्षकों के हितों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए जिससे कि यह शिक्षक निशक्त और दिव्यांग बच्चों का कल्याण करने में पूर्णरूपेण उद्यत हो सकें।   



कार्यक्रम में रोटरी क्लब एवं इनरव्हील क्लब से विभिन्न वरिष्ठ सदस्य रो. अरुण कुमार, रो. ऋषभ राज, रो. कुलदीप सिंह, तूलिका अग्रवाल, शालिनी भानिरामका, साधना गोयल, नीतू अरोड़ा, चंदा मातनहेलिया, संगीता अग्रवाल, आशा अग्रवाल चंदा डिडवानिया, शामिल हुए कार्यक्रम का संचालन रोटरी क्लब से रो. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने एवं इनरव्हील क्लब से रो. डॉ. निधि गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया।


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