World Heart Day जानें क्या हो सकते हैं हार्ट अटैक के संकेत : बता रहे हैं आनन्द गौरव


  (नीतू सिंह) 


प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी, गैर संचारी रोग कार्यक्रम, बस्ती आनन्द गौरव शुक्ल विश्व हृदय दिवस पर दे रहे हैं जरूरी जानकारी


बस्ती (उ.प्र.) । हर साल 29 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को हृदयरोग के बारे में जागरूक करना है। इस दिन पूरी दुनिया में हार्ट डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को हृदयरोग के बारे में जागरूक करना है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारी से ही होती हैं। आइए जानते हैं कि आखिर हार्ट फेल जैसी स्थिति कब आ जाती है और किन लक्षणों पर गौर करने की जरूरत है।  



दिल का काम शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ब्लड पंप करना है और जब ये अपना काम करना बंद कर देता है तो हार्ट फेलियर की स्थिति आ जाती है। ये आमतौर पर तब होता है जब दिल इतना मजबूत नहीं रह जाता कि वो फेफड़ों से ऑक्सीजन इकट्ठा कर सके या शरीर में खून को पंप कर सके। हार्ट फेलियर के दौरान कुछ लोगों के दिल में एक फैलाव आ जाता है, जिसे चेस्ट एक्स-रे में देखा जा सकता है। इसकी वजह से कई गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।


हार्ट फेल के लक्षण - सीने में दर्द के अलावा सांस की तकलीफ सबसे आम है। अगर आपको कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद सांस लेने में मुश्किल होती है, या फिर बैठे हुए भी परेशानी महसूस होती है तो आपको दिल की ये बीमारी हो सकती है। सांस की दिक्कत होने की वजह से सोने में तकलीफ महसूस करना और ड्राई कफ भी इसके लक्षण हैं। दिल के दौरे के ज्यादातर मरीजों को पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है। मितली या उल्टी के साथ छाती में किसी तरह की बेचैनी या भारीपन महसूस होना भी दिल के दौरे का संकेत हो सकता है। कुछ लोगों को तेज घबराहट भी हो सकती है जिसकी वजह से हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते हैं।  



 हार्ट फेल की स्थिति जब बढ़ने लगती है तो भूख कम लगने लगती है, बार-बार पेशाब आता है और  दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है, जरूरत से ज्यादा थकान महसूस होने लगती है और शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन होने लगती है। हार्ट फेल के भी कई चरण होते हैं। इनसे ये जाना जा सकता है कि दिल की बीमारी कितनी पुरानी है और इससे सही इलाज में भी मदद मिलती है। 


 स्टेज A - स्टेज ए में मरीजों को हार्ट फेल होने का ज्यादा खतरा होता है। ऐसे मरीजों को कोरोनरी धमनी रोग, हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी कुछ दूसरी बीमारियां भी होती हैं। 


 स्टेज B - इस स्टेज में मरीजों दिल से संबंधित कई बीमारियां होती हैं। कुछ लोगों में वेंट्रिकुलर सिस्टोलिक डिसफंक्शन हो जाता है. वहीं, कुछ लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। 


 स्टेज C - स्टेज सी में, मरीजों को सिस्टोलिक डिसफंक्शन होता है और उन्हें कई तरह के लक्षण महसूस होते हैं। इस स्टेज में हार्ट फेल के शुरूआती लक्षण नजर आने लगते हैं।


 स्टेज D - इस स्टेज में मरीजों को मेडिकल थेरेपी के बावजूद डिस्पेनिया और थकान जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस स्टेज को हार्ट फेल का अंतिम चरण माना जाता है। 


कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर क्या है - कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर अंतिम चरण है जिसमें हृदय की मांसपेशियां खून पंप करने के प्रयास में फेल हो जाती हैं, और इस स्थिति में कोई भी इलाज काम नहीं आता है। दिल की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वो खून को पंप नहीं कर पाती हैं और इस स्थिति में हार्ट फेल हो जाता है।


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