नदियों को जोड़कर निकलेगा जल समस्या का हल : पीएम मोदी
(विशाल मोदी)
बस्ती (सू.वि.उ.प्र.) । अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पूरे देश में संचालित होने वाले ‘‘कैच द रेन‘‘ जल संचयन अभियान का शुभारंभ बीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी ग्राम पंचायत प्रधानों से अपील किया कि वर्षा जल संचयन के लिए अभी से योजना बनाकर कार्य प्रारंभ कर दें ताकि बरसात होने के बाद जल का संचयन किया जा सके। इस अवसर पर उन्होंने बुंदेलखंड में केन बेतवा नदी को जोड़े जाने की परियोजना का भी शुभारंभ किया, जिससे मध्य प्रदेश के 9 जिले तथा उत्तर प्रदेश के 4 जिले लाभान्वित होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रत्न भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई का यह सपना था कि देश में नदियों को जोड़कर पानी के असंतुलन को रोका जाए। उन्होंने कहा कि एक ही समय में देश में कहीं सूखा पड़ता है और कहीं बारिश के कारण बाढ़ भी आती है। देश की नदियों को जोड़कर इस समस्या का हल किया जा सकता है। वर्तमान सरकार ने इसके लिए जल जीवन मिशन, अटल भूजल योजना आदि का संचालन किया है। केन बेतवा नदी परियोजना पहली बार दो नदियों को जोड़कर जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास और देश की आत्मनिर्भरता जल संचयन एवं संरक्षण पर आधारित है इसलिए इसको ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में एक साथ लागू किया जा रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि औद्योगिक विकास के साथ-साथ देश में जल संकट भी बढ़ने वाला है। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए हमें जल संचयन अभियान को सफल बनाना ही होगा ताकि नई पीढ़ी को शुद्ध जल उपलब्ध हो सके। उन्होंने सभी ग्राम प्रधानों का आह्वान किया कि वे अपने गांव के सभी तालाब, कुआ, बावड़ी एवं अन्य जल स्रोतों की साफ सफाई कराएं तथा ऐसी व्यवस्था बनाएं की बारिश होने पर पानी सीधे उसमें एकत्र हो सके। उन्होंने कहा कि यह कार्य जन सहयोग से किया जाना है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना की धनराशि का उपयोग इस कार्य के लिए किया जाएगा। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों तथा उपायुक्त मनरेगा से अपेक्षा किया कि वह स्थानीय आवश्यकताओं को देखते हुए कार्ययोजना बनाएं तथा बरसात से पहले तैयारियां पूर्ण कर लें। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत चार करोड़ नये परिवारों को उनके घरों में पाइप लाइन के द्वारा पानी पहुंचाया गया है। इसके अलावा सिंचाई एवं अन्य कार्यों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गई है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि वे जल का कम से कम उपयोग करें, जल के दुरुपयोग से बचें तथा बरसात के जल का अधिक से अधिक संचय करें।उन्होंने इस कार्य में विशेष रुप से महिलाओं का आह्वान किया है क्योंकि जल का सबसे ज्यादा उपयोग उनके द्वारा किया जाता है। इसलिए वे जल का संचयन भी अच्छे से करेंगी तथा परिवारीजनों से उसका दुरुपयोग भी रुकवायेगी। उन्होंने स्कूल कॉलेज में इसके लिए जन जागरूकता अभियान संचालित करने का अपेक्षा किया है। उन्होंने कहा कि पानी में आरसेनिक की मात्रा अधिक होने से कई बीमारियां हो जाती हैं। समय-समय पर पानी की जांच कराने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। इसके लिए गांव में ही कुछ व्यक्तियों को ट्रेनिंग दी जा सकती है और ट्रेनिंग के बाद उन्हें टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई जा सकती है।
कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के मध्य एमओयू भी साइन किया गया, जिससे केन बेतवा नदी को जोड़ने वाली परियोजना पर एक साथ काम किया जा सकेगा। प्रारंभ में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री ने बताया कि केन बेतवा नदी को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर नहर दोनों राज्यों में बनाई जाएगी। इससे दोनों राज्यों के 9 जिलों के 6200000 से अधिक लोगों को पेयजल, सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही 130 मेगा वाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा।इस अवसर पर भारत सरकार के जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया तथा मंत्रालय के अधिकारीगण उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री ने गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तराखंड राज्यों में जल संचयन एवं वाटर हार्वेस्टिंग का बेहतर कार्य कर रहे सरपंच एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से वार्ता भी किया। इस दौरान राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र बस्ती में जिलाधिकारी श्रीमती सौम्या अग्रवाल, सीडीओ राजेश प्रजापति, डीडीओ अजीत श्रीवास्तव, डीसी मनरेगा इंद्रपाल सिंह, तथा सहायक अभियंता लघु सिंचाई डॉ. राजेश कुमार उपस्थित रहे।
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