क्या भ्रष्ट संस्था के हाथों में जाने वाली है यूपी की एम्बुलेंस सेवा
(संजीव पाण्डेय)
लखनऊ । प्रदेश में सरकारी एम्बुलेंस सेवा मुहैय्या कराने के लिए हुए टेण्डर में मध्यप्रदेश में ब्लैक लिस्टेड और भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर, सीबीआई जांच और जुर्माने से दण्डित कम्पनी जिकित्सा हेल्थ केयर को टेण्डर मिलने की खबरें सुर्खियों में आने के बाद बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कोई जिम्मेदार व्यक्ति इतने बड़े मामले में समुचित उत्तर या अपना पक्ष नहीं दे रहा है। ऐसे में स्थितियों को देखते हुए प्रश्न यह उठता है कि क्या जिकित्सा नामक यह संस्था मप्र. में लूट खसोट करने के बाद यूपी में लूट मचाने की अपनी मंशा में सफल हो जाएगी। यदि मप्र. में गड़बड़झाले की खबरें गलत हों तो भी स्पष्टीकरण आना चाहिए और सही हों तो ऐसी संस्था को इतने महत्वपूर्ण कार्य (एम्बुलेंस सेवा) की जिम्मेदारी देने से परहेज करना चाहिए। लेकिन एक तरफ से सभी की चुप्पी किसी सधे षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। हालांकि बीते दिनों स्वास्थ्य मंत्री ने जाच परखकर ही कोई निर्णय लिए जाने की बात कही थी, पर कोई जांच शुरु नहीं की गई है।
जिकित्सा कं. पर प्रशासनिक मेहरबानी की चर्चाएं आम हैं और निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई और गलत तरीके से हथियाए गये टेण्डर को निरस्त करने की मांग की जा रही है। सीएम योगी भले ही सूबे की व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन उनके ही मंत्री और अधिकारी इन दावों की ऐसी की तैसी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यूपी में सरकार द्वारा दिया गया एम्बुलेंस का ठेका इसका ताजा उदाहरण है। आरोप है कि यह ठेका एक ऐसी कंपनी को दिया गया है, जिसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है और सीबीआई को जांच सौंपी गई है। बहरहाल, इस मामले को लेकर योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने विगत जांच कराने का भरोसा दिया है। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद से ही वेंटिलेटर युक्त एएलएस एम्बुलेंस सेवा को स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल कर लिया गया था। सरकार ने इस सेवा की आपूर्ति का कार्यभार जीवीकेईएमआरआई कंपनी को सौंपा था, जो अभी तक इस क्षेत्र में कार्य कर रही थी। जीवीकेईएमआरआई ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सैकड़ों जीवन रक्षक वाहन मुहैया कराए हैं। इसी वर्ष 21 जनवरी को योगी सरकार ने एएलएस सेवा के संचालन के लिए टेंडर निकाला, जिसमें कई कंपनियों ने अपने - अपने टेण्डर डाले । इसी में जिकित्सा हेल्थ केयर ने भी इस टेंडर को हासिल करने के लिए टेंडर भरा। इसी बीच कंपनी की शिकायत होनी शुरू हो गई। पर अधिकारियों के ऊपर इन शिकायतों का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा और टेंडर जिकित्सा हेल्थ केयर के पक्ष में खुला।बताया जाता है कि इस टेंडर को देने के लिए अधिकारियों ने न तो टेंडर भरते वक्त जमा किये गए पपत्रों की जांच की और न ही टेंडर भरने वाली कंपनी की। विगत 7 जून को जिकित्सा हेल्थ केयर कंपनी द्वारा एम्बुलेंस संचालन के लिये आवश्यक स्टाफ की भर्ती के लिए दिए गए विज्ञापन ने हलचल तेज कर दी है। इस विज्ञापन के साथ ही राजस्थान की पूर्व सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में हुए 108 एम्बुलेंस घोटाले का मामला उठाया गया है। इस घोटाले का आरोप उसी कंपनी पर है जिसे यूपी सरकार ने जीवन रक्षक वाहनों की आपूर्ति के लिए ठेका दिया है। इस मामले में जिकित्सा हेल्थ केयर के खिलाफ कई गंभीर आरोपों के साथ मामला दर्ज होने की खबरें आ रही हैं। जिसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई है। यह घोटाला 10 करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है। जिकित्सा हेल्थ केयर पर आरोप है कि कंपनी ने काल्पनिक चक्करों के फर्जी बिल बनाकर विभाग को सौंपे और अधिकारियों की मिलीभगत से उसका भुगतान भी करा लिया।इस मामले को लेकर एक न्यूज पोर्टल से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा था कि इसकी जानकारी एसीएस व एनएचएम निदेशक से ली जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक उन्हें जानकारी मिली है एएलएस एम्बुलेंस में कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। वह टेंडर में एल-वन रही। इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया में कंपनी का 3 साल का बैकग्राउंड व 3 साल की ऑडिट से संबंधित रिपोर्ट व दस्तावेजों की पड़ताल की गई है। विभाग के अधिकारियों द्वारा यह सब दस्तावेज देखने के बाद भी कमी नहीं पाई गई तो उस कंपनी को टेंडर दिया गया। उसके रेट के आधार पर काम दिया गया और वही काम अभी चल रहा है। इसके अलावा यदि कंपनी पर सीबीआई जांच व ब्लैक लिस्टेड जैसे कोई प्रणाम मिलते हैं तो मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।➖ ➖ ➖ ➖ ➖
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