बस्ती : महिलाओं के अधिकार व सम्मान के लिए हैं कड़े कानून, जागरुक रहें महिलाएं : मिशन शक्ति सेमिनार में बोलीं डीएम

 

                         (विशाल मोदी) 

बस्ती (सू.वि.उ.प्र.) । कार्य स्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न, निवारण एवं परितोष अधिनियम 2013 कार्यालय या संगठन या संस्था में स्थायी, अस्थायी, दैनिक मजदूरी पर नियुक्त या निवास या आवास में घरेलू कार्यो के लिए नियुक्त महिला को अधिकार एवं सम्मान दिलाने के लिए लागू किया गया है।

उक्त जानकारी जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने दिया है। वे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी प्रेक्षागृह में राज्य सरकार द्वारा संचालित मिशन शक्ति अभियान के अन्तर्गत आयोजित सेमीनार को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने अपील किया कि ऐसी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आगे आयें। सेमिनार में सभी विभागों की महिला कर्मचारी उपस्थित रहीं। उन्होंने कहा कि लैंगिक उत्पीड़न के अन्तर्गत शारीरिक स्पर्श, यौन स्वीकृति की मांग या अनुरोध, कामरंजित टिप्पणियां, कामोत्तेजक सामग्री का प्रदर्शन या यौन संबंधी कोई भी अशोभनीय, शारीरिक, मौखिक या सांकेतिक आचरण होता है, तो महिलाएं इस अधिनियम के तहत इसकी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि सर्विस रूल के तहत लैंगिक उत्पीड़न को मिसकण्डक्ट माना जाता है। अधिनियम के तहत कार्यवाही करने पर दोषी व्यक्ति से वेतन में कटौती करके उसका भुगतान पीड़िता को किया जा सकता है। धनराशि का निर्धारण क्लेश और क्षति को देख कर किया जायेगा। घरेलू कर्मचारी के मामले में भी न्यायालय द्वारा दण्डित किए जाने पर कम्पेनसेशन दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जांच में यदि आरोप गलत पाया जाता है, तो शिकायतकर्ता के विरूद्ध भी सर्विस रूल के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
 जिलाधिकारी ने बताया कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए लागू किया गया है। घरेलू हिंसा के अन्तर्गत ऐसी कोई भी गतिविधि जो शारीरिक, मानसिंक , भावनात्मक, मौखिक, यौन से सम्बन्धित या आर्थिक दुराचार से संबंधित हो माना जाता है। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को सेल्टर होम में रखा जा सकता है, जहां उसे निःशुल्क मेडिकल सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इस अधिनियम के तहत भी पीड़िता को कम्पेनसेशन प्राप्त हो सकता है।
 सेमिनार का आयोजन जिला प्रशासन तथा वी फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। वी फाउण्डेशन के अध्यक्ष रिटायर्ड आई. पी. एस. रतन कुमार श्रीवास्तव मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को समानता का अधिकार एवं कानून के समान संरक्षण के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 एवं 15 में अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि महिला संरक्षण के लिए बनाये गये अन्य कानूनों में महिलाओं को न्याय दिलाने की व्यवस्था है, परन्तु लैंगिक उत्पीड़न निवारण एवं परितोष अधिनियम 2013 तथा घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 में पीड़ित महिला को आर्थिक कम्पेनसेशन दिलाने की भी व्यवस्था है। इसलिए सम्बन्धित पुलिस अधिकारी महिलाओं के उत्पीड़न का केस इन दो अधिनियमों के अन्तर्गत दर्ज कर उन्हें न्याय एवं कम्पेनसेशन दोनों दिला सकते है। सेमिनार का संचालन सीआरओ नीता यादव ने किया। सेमिनार में पुलिस महिला थानाध्यक्ष भाग्यवती पाण्डेय, विभिन्न थानों की महिला पुलिस तथा कार्यालयों की महिला कर्मचारी उपस्थित रहीं। 

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