आजादी की सेनानी प्रभावती देवी नारायण : आजादी का अमृत महोत्सव
!! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !!
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज स्वतन्त्रता सेनानी हैं "प्रभावती देवी नारायण" - वे एक स्वतन्त्रता सेनानी और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव
29 :- प्रभावती देवी नारायण का जन्म- वर्तमान बिहार के सिवान जिले के श्रीनगर क्षेत्र में वर्ष- 1906 में हुआ था। उनकी माता का नाम- फूला देवी और पिता का नाम- बृजकिशोर प्रसाद था, जो पेशे से एक अधिवक्ता थे। पिता खुद एक उत्साही गाँधीवादी थे। जो बिहार में काँग्रेस के पहले सदस्य थे, जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम के लिए खुद को समर्पित कर दिया था और अपनी प्रतिष्ठित वकालत की प्रैक्टिस तक छोड़ दी थी।
प्रभावती देवी अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं। पिता ने उन्हें बेटे की तरह पालाा। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। प्रभावती देवी अक्सर सार्वजनिक बैठकों में जाती थीं और प्रमुख भारतीय नेताओं के भाषणों को सुनती थीं। परिणामस्वरूप उन्होंने अपनी प्राचीन विरासत के लिए बहुत सम्मान विकसित किया। लेकिन साथ ही पुराने रीति रिवाजों को त्याग दिया और आधुनिक विचारों को स्वीकार किया। वर्ष 1920 में प्रभावती देवी जब मात्र 14साल की थीं, तब उनकी शादी जयप्रकाश नारायण जी से हो गयी। जो एक प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। शादी के बाद जयप्रकाश नारायण जी प्रारम्भिक भौतिकी का अध्ययन करने के लिए यूएसए गये। फिर मार्क्सवाद का अध्ययन करने के लिए विस्कांसिन विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया, तो प्रभावती देवी महात्मा गाँधी जी के आश्रम में चली गयीं। जहाँ उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन महात्मा गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी जी को समर्पित कर दिया। प्रभावती देवी को महात्मा गाँधी जी और कस्तूरबा गाँधी जी ने अपनी बेटी की तरह माना और जल्द ही उनके पिता शिक्षक और मार्गदर्शक बन गये। उनके पति जयप्रकाश नारायण जी जब वापस आये तो उन्हें एक क्रान्तिकारी के रूप में देखा और उनके गाँधीवादी अभिविन्यासी होने के कारण उनके साथ कई बार मतभेद हो गये। उन्होंने महात्मा गाँधी जी द्वारा एक ब्रम्हचारी होने का संकल्प लेने के लिये कहा था। फिर भी उन दम्पति ने एक दूसरे का सम्मान किया और संयुक्त रूप से फैसला लिया कि - "जब तक भारत गुलामी की जंजीरों से मुक्त नहीं होगा तब तक वे किसी बच्चे को जन्म नहीं देंगेे। बिहार में प्रभावती देवी को ब्रिटिश अधिकारियों में कई बार जेल में भी बन्द किया। प्रभावती देवी ने जवाहरलाल नेहरू जी की पत्नी कमला नेहरू जी के साथ भी बहुत करीबी का रिश्ता बनाया और उनकी विश्वासपात्र बन गयीं। कमला नेहरू ने प्रभावती देवी को कई व्यक्तिगत पत्र भी लिखे, जो प्रभावती देवी की मृत्यु के बाद पति जयप्रकाश नारायण जी ने कमला नेहरू जी की बेटी इन्दिरा गाँधी जी को अधिकांश पत्र लौटा दिया। उनमें से एक पत्र आज भी कदम कुँआ इलाके में एक घर की दीवार पर लटका हुआ है जहाँ प्रभावती देवी अपने पति जयप्रकाश नारायण जी के साथ अपने आखिरी पल बिताये थे।आइये इस महान स्वतन्त्रता सेनानी सामाजिक कार्यकर्ता आत्मनिर्भर और साहसी महिला को हम याद करें प्रणाम करें! सादर नमन! भावभीनी श्रद्धांजलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय!
➖ ➖ ➖ ➖ ➖
देश दुनिया की खबरों के लिए गूगल पर जाएं
लॉग इन करें : - tarkeshwartimes.page
सभी जिला व तहसील स्तर पर संवाददाता चाहिए
मो. न. : - 9450557628
शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।