देश की पहली महिला वाइस चांसलर स्वतंत्रता सेनानी हंसा मेहता : आजादी का अमृत महोत्सव
!! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !!
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज "पद्म भूषण" से सम्मानित देश की पहली महिला कुलपति (वॉइस चांसलर), भारत की एक सुधारवादी सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, महान स्वतन्त्रता सेनानी, नारीवादी और लेखिका जिन्होंने महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए जेनेवा के "अन्तर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन" में भारत का प्रतिनिधित्व किया था तथा लड़कियों के लिए 14 वर्ष की आयु तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा की पैरवी भी की थी।
प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव
48 - "हंसा मेहता" एक महान स्वतन्त्रता सेनानी के साथ साथ समाजसुधारक, लेखिका व महान शिक्षाविद थींं। वे भारत की पहली महिला कुलपति थींं। उनका जन्म सूरत (गुजरात) के एक नागर ब्राम्हण परिवार में 03 जुलाई 1897 को हुआ था। उनके पिता का नाम मनुभाई मेहता था जो बड़ौदा और बीकानेर के दीवान थेे। उनके दादा नंदशंकर मेहता जो गुजराती भाषा के पहले उपन्यास "करण धेलो" के लेखक थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा बड़ौदा गुजरात से हुई। उनके घर में पढ़ने लिखने का अच्छा माहौल होने के कारण शिक्षा के लिए किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा। हंसा मेहता ने दर्शन शास्त्र से बी.ए ऑनर्स किया। साल 1919 में वे पत्रकारिता की पढ़ाई और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चली गयीं। वहाँ उनकी मुलाकात सरोजिनी नायडू और राजकुमारी अमृत कौर से हुई। बाद में महात्मा गाँधी जी से भी मुलाकात हुई। सरोजिनी नायडू के साथ आन्दोलनों के बारे में वे दीक्षित तो हुई ही सार्वजनिक सभाओं में भी शिरकत करना शुरू कर दिया। वे सरोजिनी नायडू के साथ एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जेनेवा भी गयीं। इंग्लैंड में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अमेरिका की यात्रा पर गयीं, जहाँ शिक्षण संस्थाओं, शैक्षणिक एवम् सामाजिक कार्य सम्मेलनों में शामिल हुईं और मताधिकार करने वाली महिलाओं से मिलीं। हंसा मेहता सेनफ्रन्सिसको, संघाई, सिंगापुर, कोलम्बो होती हुई भारत आ गयीं। अपने सुखद यात्रा के अनुभवों को "बॉम्बे क्रॉनिकल" में प्रकाशित किया। सन् 1923 में उनकी मुुलाकात देश के प्रमुख चिकित्सकों में से एक और महात्मा गाँधी जी के निकट सहयोगी जीवराज मेहता के साथ हुई। उन्होंने साइमन कमीशन के बहिष्कार में आगे बढ़कर भाग लिया। बाद में महात्मा गाँधी जी से मिलीं और सविनय अवग्या आंदोलन में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार और शराब की दूकानों पर धरना देने के लिए महिलाओं का नेतृत्व किया। उन्होंने महिलाओं को संगठित करके उनके माध्यम से समाज में जागृति उत्पन्न करने के काम में भी वे अग्रणी थीं। बाद में महात्मा गाँधी जी की सलाह पर ही हंसा मेहता ने अपने पति के साथ अन्य स्वतन्त्रता आंदोलन गतिविधियों में भाग लियाा। जिसके लिए 1932 में अँग्रेजी सरकार ने उनके पति के साथ उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।आइए "पद्म भूषण" से सम्मानित देश की प्रथम महिला कुलपति, शिक्षाविद, लेखिका, नारीवादी, समाजसेविका महान क्रान्तिकारी स्वतन्त्रता सेनानी हंसा मेहता जी से प्रेरणा लें! प्रणाम करें! सादर नमन! भावभीनी श्रद्धान्जलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय!
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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।