स्वतंत्रता दिवस पर उत्कर्ष प्रयास स्कूल झारसा में ध्वजारोहण, अंग्रेजी से मुक्ति के बिना आजादी अधूरी
(मिहिर कुमार शिकारी)
गुरुग्राम (हरियाणा)। योगक्षेम महिला उत्कर्ष सेवा कोऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लि. द्वारा संचालित उत्कर्ष प्रयास स्कूल की प्रमुख संस्थापिका और कोऑपरेटिव सोसाइटी की उपाध्यक्षा स्वर्णलता पाण्डेय (पूजाजी) गुरुग्राम के झारसा गाँव में जरूरतमंद और पिछड़े वर्गों के बच्चों को प्रार्थमिक शिक्षा देने के लिए शुरू किए गए उत्कर्ष प्रयास स्कूल के बच्चों ने बड़ी संख्या में उपस्थित रहकर ध्वजारोहण किया। स्कूल परिसर में आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को यादगार बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अलका रानी (सीनियर स्पेशलिस्ट एससीईआरटी रिटायर्ड प्रिंसिपल भाषा विभाग इंचार्ज),एवं अतिथि विशेष अध्यापिका श्री आशा सिंह शर्माजी और आरती सिंह शर्माजी ने झंडा फहराया सभी ने राष्ट्रध्वज को सलामी दी और राष्टगान गया।तत्पश्चात बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति डान्स टीचर श्री राणी श्रीवास्तव जी के मार्गदर्शन में देकर उपस्थित लोगों को राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग दिया था।इस कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता के पूजन से हुई बाद में "ये मिट्टी में मिल जावा",सारे जहा से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा,कर चले हम फिदा जान औ तन साथियों, हम होंगे कामयाब जैसे गीतों से पूरा विद्यालय गुंजायमान होता रहा। इस अवसर पर स्कूल संस्थापिका स्वर्णलता पाण्डेय (पूजाजी) ने छात्रों और उपस्थित युवाओं को भारतवर्ष को आजाद कराने में दिवाने शहीदों को याद करके भाववंदना की।आजाद भारत को आबाद, समृद्ध, सशक्त,गौरवशाली,सुसंस्कृत, महान,भव्य और दिव्य भारतवर्ष के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध होना ही सच्ची राष्ट्रभक्ति है।अप्रतिम राष्ट्रभक्ति, देशप्रेम,राष्ट्रीय एकता,वसुघैव कुटुम्बकम् की विभावना, शांति, सद्भावना, सौहार्द,कर्मठता,शिस्त,वीर,साहसिकता जैसे सदगुणों के साथ व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र कार्य में श्रेष्ठ योगदान ही आजादी के अमृत महोत्सव की श्रेष्ठ प्रतिज्ञा है।हमारा देश विविधताओं में एकता का प्रतीक हैं, देश में अनेक भाषाओं, जातियों के कारण विश्व में भारत की एक अलग पहचान है और इन सब को बचाने के लिए हमें अंग्रेजी भाषा को और उसकी गुलामी को त्याग कर शिक्षा में अपनी प्रादेशिक भाषाओं पर अधिक ध्यान देनेकी जरूरत है तभी सही मायनों में हमें संपूर्ण आजादी मिलेगी उसके बिना आज जो आजदी मिली है वो अधूरी मानी जाएगी।आगे उन्होंने कहा कि इस शुभ बेला पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वप्नो का श्रेष्ठ भारतवर्ष का और 2047 में आजादी के शताब्दी वर्ष तक महर्षि अरविंद घोष के संकल्प का अखंड विश्वगुरु भारत का निर्माण हमारा पुरूषार्थ युक्त जीवन मंत्र बनाए। इस अवसर पर सोसायटी की अध्यक्षा श्री मंगला गुप्ता जी ने उपस्थित लोगों को कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम मात्र अंग्रेजों को बेदखल करने वाला राजनीतिक प्रयास न होकर एक रचनात्मक सांस्कृतिक विमर्श का आगाज भी था जो समग्र भारतीय समाज की आकांक्षा को अभिव्यक्त कर रहा था।साम्राज्यवाद के दमनचक्र का विरोध सिर्फ विरोध न होकर एक नए शोषणमुक्त और न्यायमुक्त समाज के निर्माण का उदधोष था।इसलिए आजादी को सिर्फ राजनीतिक आजादी मानना भ्रामक हैं।स्वतंत्रता का संघर्ष सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,शैक्षिक समग्र आजादी का स्वप्न था।महात्मा गांधी विकेन्द्रीकृत समतामूलक और सहकारिता के आधार पर सहभागी व्यवस्था वाले भारत की कल्पना कर रहे थे, जिसकी जड़े नैतिकता और सर्वोदय में थी।यह स्वतंत्रता दिवस हमें इस यात्रा की उपलब्धियों और सीमाओं पर ध्यान देने के लिए आमंत्रित करता हैं ताकि हम आगे की तैयारी कर सके।लंबी दासता के बाद 1947 में न चाहते हुए भी अखंड भारत के विभाजन के साथ भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक आजादी मिली और भारतीयों की सरकार बनी।भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत उत्थान के प्रयास में संलग्न रहा और विविधताओं के साथ आगे बढ़ने के लिए कई कदम उठाए, देश ने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित की और आज दृढ़ता से खड़ा भारत सांस्कृतिक,आर्थिक,सामरिक और प्रौधोगिक हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है।आगे मंगलाजी ने बताया कि स्वतंत्रता की दिप शिखा हंमेशा प्रज्वलित रहे इसके लिए औपनिवेशिक मानसिकता छोड़कर कार्य प्रणाली की अड़चनों को दूर करना होगा, हम सब भारत के है और उसकी जयगाथा में हम सब का हिस्सा होना चाहिए।हम ये न भूले कि सत्य,अहिंसा और शांति के मूल्य हमारी रगों में प्रवाहित हैं और मानवता और विश्व शांति का भविष्य उन्ही को स्थापित करने में है। इस अवसर पर अलका शर्मा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज हमारा देश " आजादी का अमृत महोत्सव" मनारहा है।इस वर्ष हमारी आजादी 75 वर्ष पूरे करके 76वे वर्ष में प्रवेश कर रही हैं इन 75 वर्षों में भौतिकवादी संस्कृति के विकास, भारत विभाजन के बाद धार्मिक-साम्प्रदायिकता में वृद्धि और राजनैतिक विचारों में विरोधाभास के कारण देश में राष्ट्र के प्रति प्रेम और अनुराग की भावना निश्चित रूप से क्षीण हुई हैं।अपनी मातृभूमि के प्रति अनुराग का कम होना भारतवर्ष की अखंडता और एकता के लिए अच्छी स्थिति नहीं हैं।कदाचित इसीलिए संपूर्ण भारत में "हर घर तिरंगा" अभियान चलाया जाना आवश्यक हो गया है ताकि अपने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के माध्यम से देश के प्रत्येक नागरिक में राष्ट्रप्रेम की तीव्र भावनाओं को पुनः जागृत किया जा सके।भारत में रहने वाला नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म, जाती या वर्ग का हो वह समानता के आधार पर समान हैं और मातृभूमि के लिए एक समान रूप से प्यारा है।इस तरह प्रत्येक नागरिक के मन में भी अपने देश और मातृभूमि के लिए एक समान प्रेम और अनुराग की भावना होना ही चाहिए क्योंकि राष्ट्र के प्रति प्रेम एक धर्म है और राष्ट्रप्रेम ही सर्वोपरि है।राष्ट्रप्रेम से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इस ध्वजारोहण कार्यक्रम में कार्यक्रम संचालिका अंजलीजी, डान्स टीचर तथा ज्योतिषाचार्य राणी श्रीवास्तव, रोहित पाण्डेय, शाश्वत पाण्डेय और गांव के प्रतिनिधि एवं प्रतिष्ठित लोग, स्कूल के बच्चे - बच्चियों के अभिभावक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने समूह में भोजन किया।➖ ➖ ➖ ➖ ➖
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