तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.) राम शब्द का अर्थ है – रमंति इति रामः जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वह राम आखिर क्या हैं ? राम जीवन का मंत्र है। राम मृत्यु का मंत्र नहीं है। राम गति का नाम है, राम थमने, ठहरने का नाम नहीं है। सतत वितानीं राम सृष्टि की निरंतरता का नाम है । राम, महाकाल के अधिष्ठाता, संहारक, महामृत्युंजयी शिवजी के आराध्य हैं। शिवजी काशी में मरते व्यक्ति को(मृत व्यक्ति को नहीं) राम नाम सुनाकर भवसागर से तार देते हैं। राम एक छोटा सा प्यारा शब्द है। यह महामंत्र – शब्द ठहराव व बिखराव, भ्रम और भटकाव तथा मद व मोह के समापन का नाम है। सर्वदा कल्याणकारी शिव के हृदयाकाश में सदा विराजित राम भारतीय लोक जीवन के कण-कण में रमे हैं। राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं। भगवान विष्णु के अंशावतार मर्यादा पुरुषोत्तम राम हिंदुओं के आराध्य ईश हैं। दरअसल, राम भारतीय लोक जीवन में सर्वत्र, सर्वदा एवं प्रवाहमान महाऊर्जा का नाम है। वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेकानेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्र
!! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !! "आज़ादी का अमृत महोत्सव" राजस्थान की पहली महिला स्वतन्त्रता सेनानी जिन्हें स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किया गया था। वे बिजौलिया में 500 महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तार की गयी थीं और बाद में उन्हीं महिलाओं के साथ अवैध रूप से गिरफ्तार किए गए किसानों को अँग्रेजों की कैद से छुड़वाकर स्वतन्त्रता आन्दोलन का बिगुल बजाया था। महान स्वतन्त्रता सेनानी और लेखिका हैं "अंजना देवी चौधरी प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव 63 - अंजना देवी चौधरी एक महान स्वतन्त्रता सेनानी और लेखिका थीं। उन्होंने स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के साथ साथ एक लेखिका के तौर पर भी लोगों को जागरूक किया था। आज़ादी के आन्दोलन के उस दौर में क्रान्ति के साथ साथ साहित्यकारों ने भी जनचेतना बढाने में अहम योगदान दिया था। उनका जन्म सीकर जिला के श्रीमाधोपुर में हुआ था और विवाह महान स्वतन्त्रता सेनानी और राजस्थान सेवा संघ के कार्यकर्ता रामनारायन चौधरी से हुआ था। वह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की अनुया
तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.) सो कुल धन्य उमा सुनु जगत पूज्य सुपुनीत। श्रीरघुबीर परायन जेहिं नर उपज बिनीत॥ जय श्री राम प्रभु भक्तों हे उमा! सुनो वह कुल धन्य है, संसारभर के लिए पूज्य है और परम पवित्र है, जिसमें श्री रघुवीर परायण (अनन्य रामभक्त) विनम्र पुरुष उत्पन्न हों॥ सदा भगवान के कार्य में जो अपनी शरीर को कष्ट देता है। मुख से अखंड राम-नाम का उच्चारण करता है। स्वधर्मपालन में बिल्कुल तत्पर है। मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचंद्रजी का ऐसा दास इस संसार में धन्य है। जैसा कहता है। वैसा ही करता है। नाना रूपों में एक ईश्वर (रूप) को ही देवता है और जिसे सगुण-भजन में जरा भी संदेह नहीं वहीं मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी का सेवक इस संसार में धन्य है। नीति निपुन सोइ परम सयाना। श्रुति सिद्धांत नीक तेहिं जाना॥ सोइ कबि कोबिद सोइ रनधीरा। जो छल छाड़ि भजइ रघुबीरा॥ जो छल छो़ड़कर श्री रघुवीर का भजन करता है, वही नीति में निपुण है, वही परम् बुद्धिमान है। उसी ने वेदों के सिद्धांत को भली-भाँति जाना है। वही कवि, वही विद्वान् तथा वही रणधीर है॥ जिसने मद, मत्सर और स्वार्थ का त्याग कर दिया है। जिसके सांस