छठ मईया की जय हो : महिलाओं ने सूर्य को दिया अर्घ्य
(बृजवासी शुक्ल)
बस्ती (उ.प्र.)। जिले में महापर्व छठ के अवसर पर शहर से गांव तक उत्साह का माहौल देखा गया। सोमवार को छठ पूजा का अंतिम दिन था और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सुबह तीन बजे ही कुआनों नदी के अमहट घाट और पुरानी बस्ती के निर्मली कुंड पर व्रती महिलाएं गीत गातीं घाट पर पहुंची। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ का व्रत रखने वाले लोगों ने अपना व्रत तोड़ा और इसके साथ ही चार दिनों के महापर्व का समापन हो गया। व्रतियों ने उगते होते सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने पुत्रों के यश, कीर्ति और समृद्घि का वरदान मांगा।
इस अवसर पर घाटों पर जबरदस्त भीड़ रही। प्रशासन की तरफ से सुरक्षा और सुविधा के प्रबंध थे। मगर अमहट घाट पर बाढ़ के पानी की वजह से श्रद्धालुओं को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। नगर पालिका के अलावा पुलिस व राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की टीमें मुस्तैद रहीं। शहर के अमहट घाट और निर्मली कुंड, हर्रैया के समया घाट के अलावा कुदरहा के सेल्हरा, नौरहनी, पिपरपाती, गायघाट, लालगंज, बानपुर, मथौली, कौलेश्वरधाम कलवारी आदि विभिन्न स्थानों पर व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ा। इस दौरान बच्चों ने पूजा वाले स्थानों पर जमकर आतिशबाजी की। वहीं इस मौके पर युवाओं में सेल्फी लेने का क्रेज दिखा तो महिलाएं अपने परिवार की बुजुर्गों से छठ पूजा की विधि भी सीखती नजर आईं। हर्रैया के समया घाट पर एसडीएम गुलाब चन्द्रा पूरी टीम और सुरक्षा बलों के साथ छठ पर्व पर जुटे श्रद्धालुओं की देखरेख में लगे रहे। इनके साथ नगर पंचायत अध्यक्ष राजेन्द्र उर्फ रज्जू गुप्ता ने भी घाट व्रतियों का ख्याल रखा।सूर्य देव पर चढ़ाया प्रसाद
पूजा के दौरान व्रती महिलाओं ने भगवान के लिए बनने वाले प्रसाद गुड़ की खीर, रोटी पिट्ठा, खरना, फल, सब्जियों का भोग सूर्य देवता को लगाया। उसके बाद व्रतधारियों ने लोगों मेंं प्रसाद बांटा। प्रसाद को लेकर ऐसी मान्यता है कि जिसको माता छठी का प्रसाद खाने को मिलता है, तो उसके ऊपर संकट नहीं रहता है।
हर जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे। पर्याप्त सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे। बड़ी संख्या में महिला पुलिस कर्मी भी अमहट घाट, निर्मली कुंड परिसर में नजर आईं। एसओ पुरानी बस्ती प्रदीप कुमार सिंह निर्मली कुंड पर और कोतवाल शशांक शेखर राय अमहट घाट पर भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। नदी में बैरीकेडिंग कर पानी में एक सीमा तक जाने की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई थी। छठ मेला के दौरान कर्मचारियों के साथ अधिकारियों को भी लगाया गया था।विश्व की उत्कृष्ट परम्परा,लोक जीवन का एक अद्भुत पर्व जिसमें गीतों में ही मंत्र है और गीतों में ही आराधना है। स्त्री की शक्ति, महानता और महत्ता को दर्शाने वाला विश्व का यह एक अनूठा और अद्भुत यज्ञ है। यह एक ऐसा यज्ञ है जिसमें स्त्री ही कर्ता है, कारण है और माध्यम है।ऐसा यज्ञ जिसमें एक साथ प्रकृति के सभी अंगों की उपासना की जाती है। मनुष्य के लिए प्रकृति ने जो कुछ दिया है, उसे प्रकृति को पुनः अर्पित किया जाता है। सृष्टि के कारण, उद्गम और अन्त सभी में विद्यमान परमतत्व की उपासना की जाती है। तभी इसमें कोई पुरुष प्रधान व पुरोहित नहीं होता बल्कि पुरुष मात्र सहयोगी अवयव होता है। विश्व में कहीं भी और किसी भी सभ्यता में प्रकृति के इतने निकट का इतना भव्य दिव्य और विशाल महोत्सव देखने को नहीं मिलता।आदिदेव भगवान भाष्कर सभी को शारीरिक और मानसिक स्वस्थता एवं सुदृढ़ता तथा समृद्धि प्रदान करें। हम सभी जीवन प्रदायी अद्भुत प्रकृति की रक्षा के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हों।➖ ➖ ➖ ➖ ➖
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