हाथी पर सवार होकर लोस चुनाव लड़ेंगे भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र, हरीश की मुश्किलें बढ़ीं

            (मनीष श्रीवास्तव 'अंकुर')

बस्ती (उ. प्र.)। भारतीय जनता पार्टी बस्ती के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में हाथी पर सवार हो गए हैं।कहा जाता है प्यार और युद्ध में सब जायज है। अब राजनीति भी इसमें शुमार हो गया है, जिसमें सब कुछ जायज है। बस्ती में भाजपा में पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र ने बसपा में शामिल होकर भूचाल ला दिया है। ये बसपा में गये ही नहीं बल्कि लोकसभा क्षेत्र 61 बस्ती से बसपा प्रत्याशी भी बनाए गये हैं। इसकी घोषणा खुद दयाशंकर मिश्र, बसपा के जोनल को आर्डिनेटर उदयभान और दिनेश चन्द्रा ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके की है। इनके पार्टी छोड़कर जाने के पीछे मुख्य वजह हरीश द्विवेदी के अंदर स्वयंभू की भावना बताई जा रही है। 

 (लोकसभा क्षेत्र 61 बस्ती से बसपा ने भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र को प्रत्याशी बनाया। पीले कुर्ते नीले गमछे में माला के बीच दयाशंकर मिश्र, जोनल को आर्डिनेटर उदयभान, दिनेश चन्द्रा, पूर्व विधायक भगवान दास व अन्य बसपा नेता व पदाधिकारी)

बस्ती लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र को बहुजनसमाज पार्टी द्वारा प्रत्याशी घोषित किया है। होटल बालाजी प्रकाश में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बहुजन समाजपार्टी के मण्डल प्रभारी उदयभान ने बताया कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के द्वारा लोकसभा क्षेत्र बस्ती से दयाशंकर मिश्र को प्रत्याशी घोषित किया गया है। इनको चुनाव में बसपा के कार्यकर्ता, पदाधिकारी पूरी ताकत से चुनाव लड़ायेंगे। 

पूर्व एमएलसी दिनेश चन्द्रा ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमन्त्री मायावती के निर्देशानुसार दया शंकर मिश्र को बसपा में शामिल करते हुए 61 लोकसभा क्षेत्र बस्ती का प्रभारी एवं प्रत्याशी घोषित किया। बसपा प्रत्याशी दयाशंकर मिश्र ने कहा कि भाजपा में घोर उपेक्षा हो रही थी, कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी जा रही थी, ऐसी स्थिति में वे चुनाव मैंदान में हैं, और सभी वर्गो के सहयोग से चुनाव जीतेंगे।

इस मौके पर मुख्य जोन कार्डिनेटर इन्दलराम , मुख्य जोन कोआर्डिनेटर उदयभान, पूर्व विधायक भगवानदास, पूर्व एमएलसी लाल चंद्र निषाद कल्पनाथ बाबू, बस्ती सदर के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी डॉ. आलोक रंजन वर्मा, राम सूरत चौधरी, सीताराम शास्त्री, जिला अध्यक्ष जयहिंद गौतम, विधानसभा अध्यक्ष कृपाशंकर गौतम, केसी मौर्य, देशराज गौतम,राजीव कुमार के साथ बसपा के अनेक पदाधिकारियोें के साथ ही भाजपा के भी कुछ कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

बस्ती के इस राजनैतिक घटनाक्रम से सियासत का नया चैप्टर शुरु हो गया है। बहुजन समाज पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी के करीबी माने जाने वाले दयाशंकर मिश्र को प्रत्याशी बनाया है। प्रेस कांफ्रेंस में दयाशंकर मिश्र ने खुद इस बात का दावा किया है कि साल 2014 के चुनाव में हरीश द्विवेदी को बीजेपी से टिकट दिलाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। चुनाव जीतने के बाद वे बड़े नेता हो गये और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर अपने उन्हीं सहयोगियों के पर कतरने लगे जिन्होंने उनकी मदद की थी। बाद में हरीश जी ने दयाशंकर मिश्र की एक नहीं सुनी और इन्हें टिकट न मिलने पाए इसके लिए दूसरों को सामने ला दिया और टिकट दिलवाया। किसी को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि भाजपा जैसी पार्टी का इतने पुराने सांगठनिक निष्ठावान कद्दावर नेता को एक व्यक्ति अपनी राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा में अंधा होकर इतना उपेक्षित करेगा और नेतृत्व को भी इतना गुमराह करेगा कि जिले भर के संगठन को जिम्मेदारी से चलाने वाले व्यक्ति को ही पार्टी छोड़ देनी पड़ेगी।
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान दयाशंकर मिश्र काफी भावुक थे और उनकी आंखें नम थीं। उन्होंने बताया कि करीब चालीस वर्षों तक निष्ठावान सांगठनिक कार्यकर्ता के रुप काम करने का यही प्रतिफल रहा की सांसद हरीश द्विवेदी कुटिलता पूर्वक किसी भी सूरत में संगठन और जनता के बीच स्वतंत्र पहचान वाले किसी व्यक्ति को मौका नहीं देना चाहते। अभी तक बस्ती में सपा - कांग्रेस अलायंस की ओर से राम प्रसाद चौधरी, भाजपा से हरीश द्विवेदी और बसपा से दयाशंकर मिश्र प्रत्याशी हैं। अब बस्ती का चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है।
  (बसपा नेताओं के साथ मालाओं से लदे पीले कुर्ते में दयाशंकर मिश्र)

दयाशंकर मिश्र छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के साथ ही साथ 2013 से 2016 तक भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे और अभी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य थे। अगर चुनावी जोड़ तोड़ की गणित की बात करें तो अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी रामप्रसाद चौधरी के करीबी और उनके साथ सपा में रहे विपिन शुक्ल ने उनका साथ छोड़ कर भाजपा का दामन थामा है और सांसद हरीश द्विवेदी के साथ उसी होटल में प्रेस कांफ्रेंस की थी, जहां आज दयाशंकर मिश्र की प्रेस कांफ्रेंस थी। राजनीति के जानकारों की मानें तो इनका बसपा में जाना बड़ी रणनीति हिस्सा है, जिसमें दबी जुबान से सपा प्रत्याशी के तार जुड़े होने की भी अटकलें तेज हैं। जिससे चुनाव में सपा के जीत की डगर आसान हो सके। 

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