बस्ती में सांसद पर प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए धमकाने का आरोप, राष्ट्रपति को लिखा पत्र

 

बस्ती (उ. प्र.)। इन दिनों आप मालिक हैं बाजार के, जो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें। शायर की ये लाइनें 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान 61 बस्ती में लोग पार्टी के प्रत्याशी के ऊपर सटीक बैठ रही हैं। लोग पार्टी प्रत्याशी पंकज दूबे ने भाजपा प्रत्याशी और सांसद हरीश द्विवेदी पर चुनाव न लड़ने का दबाव बनाने और न मानने पर गम्भीर परिणाम भुगतने की धमकी देने का आरोप लगाया है। इसमें एक ब्लाक प्रमुख पर सांसद की ओर से अपने घर बुलाकर डराने धमकाने और अपनी गाड़ी में बैठाकर सांसद के घर ले जाकर उनसे मिलवाने और फिर सांसद द्वारा भी डराने धमकाने का आरोप है। पंकज दूबे ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।

लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां लगातार तेज हो रही हैं, और प्रत्याशी अपनी जी जान से अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं, इसी बीच भाजपा प्रत्याशी और सांसद हरीश द्विवेदी पर प्रत्याशी के उत्पीड़न और जान के खतरे का गंभीर आरोप लगा है। इसी प्रत्याशी के खिलाफ 2019 में बूथ पर बवाल करने के मामले में सांसद पर कोर्ट ने 82 / 83 का भी आदेश दिया है। लोग पार्टी के प्रत्याशी पंकज दूबे 2024 में भी लोकसभा प्रत्याशी हैं। लोकसभा क्षेत्र 61 बस्ती में 25 मई को 2024 को मतदान होना है।
बता दें कि लोग पार्टी के प्रत्याशी पंकज दूबे और सांसद हरीश द्विवेदी एक ही गांव तेलियाजोत कै रहने वाले हैं। सांसद जी चाचा लगते हैं पंकज दूबे के। वर्ष 2019 में भी पंकज लोकसभा चुनाव लड़े थे। मतदान के दिन बूथ पर बवाल हुआ था, जिसमें सांसद जी के ऊपर गंभीर आरोप लगे थे। जिस मतदान केन्द्र पर बवाल हुआ था वह मतदान केन्द्र इन दोनों लोगों के पैतृक गांव तेलियाजोत का है। उस वक्त का सांसद जी का बूथ पर पहुंचने और कार्य प्रणाली का वीडियो आज भी मौजूद है। ये वही मामला है जिसमें सांसद जी के लिए कोर्ट ने 82 / 83 की कार्रवाई का आदेश दिया था।
 सांसद के ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं इससे लगता है कि बाहुबली और शातिर तरीके से इतना भयभीत कर दिया जा रहा है, उसे प्राण का संकट नजर आने लगे। क्योकि जिस प्रमुख ने उन्हें अपने घर बुलाया और चुनाव न लड़ने की हिदायत दी, उनके ऊपर पंकज ने बन्दूक दिखाते हुए धमकाने का भी आरोप लगाया है। इतना ही नहीं सांसद जी पंकज दूबे के पुराना डाकखाना स्थित आवास पर जाकर स्वयं भी उन्हें चुनाव न लड़ने और ना मानने पर परिणाम भुगतने की धमकी दे चुके हैं।
उन्होंने बताया कि आठ अप्रैल से तेरह अप्रैल तक उनके साथ अपराधी की तरह व्यवहार किया गया। सवाल यह उठता है कि आखिर एक सामान्य व्यक्ति के चुनाव लड़ने से वर्तमान में सामर्थ्यवान और महत्वपूर्ण पद पर होते हुए सांसद जी को इतना राजनैतिक डर क्यों सता रहा है। ऐसे आचरण से उनकी खुद की राजनीतिक छवि पर बट्टा लग रहा है।

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