संस्कृति और भावी पीढ़ी - प्रतिमा पाठक
संस्कृति और भावी पीढ़ी
संस्कृति की जड़ों में बसी है,
हमारी अस्मिता की कहानी।
प्राचीन सभ्यता के पन्नों में लिखी,
अपनी गौरव बानी।।
संस्कृति की गूँज देती युगों युगों का संदेश।
धरोहर ये हमारी, अखंड रहे सदा परिवेश।।
संगीत, नृत्य
कला की धारा,
संस्कारों की अनमोल माला।
पुरुखों के आदर्शों की झलक,
नई पीढ़ी को दे उजाला।।
भावी पीढ़ी का होता जब आगमन,
संस्कृति बनती उनका आधार।
आधुनिकता के युग मे भी करें,
अपनी संस्कृतिका श्रृंगार।।
नई पीढ़ी को बतायें संस्कृति है हमारी पहचान।
जो जोड़ती है हमें जड़ों से और देती नई उड़ान।।